कृषि से जुड़े तीन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों का आंदोलन 14वें दिन में एंट्री कर चुका है. 9 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच छठवें दौर की बातचीत होनी थी, लेकिन उससे एक दिन पहले यानी 8 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह और कुछ किसान नेताओं की बैठक हुई. ये बातचीत बेनतीजा रही. किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. वहीं सरकार का कहना है कि वह कृषि कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव और न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की गारंटी लिखित में देगी.
अब आगे क्या?
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, 9 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में किसानों के लिए सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा होगी. इसके बाद सरकार किसानों को लिखित में प्रस्ताव सौंप देगी. वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा,
गृह मंत्री अमित शाह ने कल किसान संघों से बात की. सरकार आज किसान यूनियनों को एक लिखित प्रस्ताव देगी और वे इस पर विचार करेंगे. देश और किसानों के हित में जो कुछ भी होगा, उन सभी पर विचार किया जा रहा है.
वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा,
सेंटर की ओर से जो ड्राफ्ट भेजा जाएगा उस पर विचार के लिए हम मीटिंग करेंगे. छठवें राउंड की मीटिंग कैंसिल हो गई है. ड्राफ्ट पर चर्चा के बाद कोई कदम उठाएंगे. उम्मीद है कि आज शाम 4-5 बजे तक स्थिति साफ हो जाएगी.
वहीं किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा है,
सरकार इस समय हड़बड़ाहट में है, कल शाम बुलाई गई बैठक बेफायदा थी. प्रस्ताव भेजना था तो 6 या 7 दिसंबर को भेजते. अगर प्रस्ताव में संशोधन की बात आती है तो उससे बात नहीं बनेगी.
इससे पहले अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुल्ला ने कहा था,
कल बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. सरकार ने 10 दिसंबर को बैठक के लिए बोला है, अगर प्रस्ताव के बाद कुछ सकारात्मक निकल कर आता है तो कल बैठक हो सकती है.
गृह मंत्री की संयुक्त किसान मोर्चा के 13 सदस्यों की मुलाक़ात हुई. इससे पहले 40 किसान नेता सरकार से बातचीत कर रहे थे. सिर्फ कुछ नेताओं की शाह से मुलाकात को लेकर विवाद हो गया है. पंजाब के सबसे बड़े किसान यूनियन भारती किसान यूनियन (उगराहां) के जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि किसान नेताओं को सरकार से बुधवार को तयशुदा औपचारिक बैठक से पहले अमित शाह से अनौपचारिक रूप से नहीं मिलना चाहिए था.
उगराहां ने नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा,
कुछ किसान यूनियनों को अमित शाह ने अनौपचारिक बातचीत के लिए बुलाया था. अमित शाह से अनौपचारिक मुलाक़ात करने किसान यूनियनों को नहीं जाना चाहिए था.बिना आधिकारिक बातचीत के मिलना शक पैदा करता है.
अमित शाह से मुलाकात के बाद किसान नेता बंटे हुए दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि आगे की रणनीति बनाने के लिए सरकार की ओर से भेजे जा रहे प्रस्ताव पर विचार होगा. फिर रणनीति तय होगी.
Source- The Lallantop