AKHILESH YADAV : दोस्तों गांव की एक कहावत हैं कि जब पड़ोस या घर में आग लगती हैं तो घर का सदस्य या पड़ोसी ही उस आग बुझाने को सामने आता हैं… ठीक वैसे ही जैसे आम का छिलका आम के ही पेड़ में ही चिपकता हैं…. गांव के मैकू चाचा कहा करते थे कि बच्चा पानी में लाठी मारैय से कहूं पानी फाटत हैं… बिल्कुल वैसा हैं सैफई का यादव परिवार हैं… परिवार में लाख गुस्म गुस्सा हो….चाहे सालों से परिवार में किसी बात भी नही हुई हो…लेकिन जब मान सम्मान की आ जाती हैं तो पूरा का पूरा यादव परिवार एक साथ खड़ा हो जाता हैं…पूरा परिवार अपनी सियासत के लिए त्याग समर्पण को तैयार हो जाता हैं…
दोस्तों चाचा शिवपाल यादव की आंखों में आए आंसुओ को अखिलेश यादव देख नही सके…. अखिलेश यादव को लगा कि चाचा शिवपाल परिवार से दूर रहकर काफी दुखी हैं…. अखिलेश यादव ने कहा कि राजनीति का मतलब ये नही हैं कि परिवार के लोग एक दूसरे से अलग रहे… हम अपने चाचा का सम्मान करते थे करते हैं और हमेशा चाचा का सम्मान करते रहेंगे… अखिलेश यादव मैनपुरी में पार्टी संरक्षक सांसद मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधि देवेंद्र सिंह यादव के घर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे…जहां अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी चाचा शिवपाल से फोन पर बात हो चुकी हैं….और हमने चाचा की पार्टी के लिए सीटे छोड़ दी हैं… चाचा की जहां से मर्जी चाचा चुनाव लड़ सकते हैं…
चाचा शिवपाल यादव ने हाल में ही दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि चार साल हो गए लेकिन अखिलेश यादव को समय नहीं हैं हमसे बात कर ले….. शिवपाल यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो हमसे बात भी कर लेते हैं पर हमारे भतीजे हमसे कभी भी फोन नहीं करते हैं… ये अफसोस की बात है…. नेताजी के यहां तो हम अक्सर चाय पीने जाते हैं, मिठाई भी एक दूसरे को खिलाते हैं… हम चाहते हैं कि यूपी में नेताजी वाला दौर एकबार फिर से शुरू हो…. शिवपाल यादव ने कहा था कि अगर मुझे सम्मान के साथ वापस अपनी पार्टी में बुलाते हैं तो मैं अपनी पार्टी का विलय करने को भी तैयार हूं….