आज सावन का पहला सोमवार है इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं तथा भगवान शिव की पूजा अर्चना बेलपत्र से करते हैं। भक्तों का मानना है कि सावन के सोमवार में व्रत रखना फलदायी होने के साथ भगवान शिव की अनुकम्पा भक्तों पर बनी रहती है।
आख़िर क्यों रखा जाता है सोमवार को व्रत?
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि एक बार शिव और पार्वती जी चॉसर खेल रहे होते हैं अचानक वहाँ पंडित जी आ जाते है, पार्वती माता पंडित जी से पूछती है बताओ कान जीतेगा?
पंडित जी फ़टाक से कहते है, भगवान शिव ही जीतेंगे। यह सुन कर पार्वती जी को बहुत ग़ुस्सा आता है लेकिन वह अपने ग़ुस्से को पी जाती है और खेल ख़त्म होने का इंतज़ार करती है, अंत में पार्वती माता की विजय होती है। इस बात पर पार्वती माता पंडितजी को श्राप देने की कोशिश करती है, लेकिन शिव जी पार्वती माता को रोकते हैं यह केवल खेल है इसमें हार और जीत किसी की भी हो सकती है, इसमें पंडित जी की कोई भी गलती नही है लेकिन पार्वती माता नहीं मानती और पंडित जी को कोढ़ का श्राप देती है।
कुछ समय बाद पंडित जी के पास एक अप्सरा आती है, और उन्हें सोलह सोमवार के व्रत रखने की सलाह देती है। पंडित जी
अप्सरा की बात मान कर व्रत रखना शुरू करते है, और सोलह सोमवार के बाद वह श्राप मुक्त हो जाते है। तभी से यह व्रत की प्रथा शुरू हुई।
कहा जाता है की सोमवार व्रत कथा पढ़ने के बाद ही यह व्रत पूर्ण होता है।